क्यों भिड़े इजराइल और ईरान?: पूरी जानकारी, कारण और वैश्विक प्रभाव

“दो मध्यपूर्वी महाशक्तियों का टकराव जो पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकता है”

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क्यों भिड़े इजराइल और ईरान?

इजराइल और ईरान के बीच तनाव दशकों पुराना है, लेकिन हाल के हमलों ने इसे खुले युद्ध के कगार पर पहुँचा दिया है। अप्रैल 2024 में ईरान द्वारा इजराइल पर 300+ ड्रोन और मिसाइलों से हमला और उसके जवाबी कार्रवाई ने दोनों देशों को सीधे टकराव में ला खड़ा किया है।


ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: दुश्मनी की जड़ें

क्रांति से पहले के रिश्ते

  • 1950-1979: इजराइल-ईरान मित्र देश थे, तेल-हथियारों का व्यापार
  • 1979 ईरानी क्रांति: अयातुल्ला ख़ामेनेई ने इजराइल को “कैंसर ट्यूमर” घोषित किया

प्रमुख विवाद बिंदु

  1. परमाणु कार्यक्रम: इजराइल ईरान को परमाणु बम बनाने का आरोपी मानता है
  2. प्रॉक्सी युद्ध: गाजा (हमास) और लेबनान (हिज़बुल्लाह) में ईरानी समर्थन
  3. सीरिया संकट: ईरानी सैन्य ठिकाने इजराइल की सीमा के पास

वर्तमान संघर्ष: 2024 की घटनाक्रम

ईरान का पहला सीधा हमला (13-14 अप्रैल 2024)

  • कारण: इजराइल द्वारा दमिश्क में ईरानी दूतावास पर हवाई हमला
  • हथियार: 170 ड्रोन, 30 क्रूज मिसाइल, 120 बैलिस्टिक मिसाइल
  • नुकसान: इजराइल का 99% हमला रोका, मामूली क्षति

इजराइल की जवाबी कार्रवाई (19 अप्रैल 2024)

  • लक्ष्य: ईरान के इस्फ़हान में हवाई अड्डा और परमाणु स्थल
  • हथियार: सीमित मिसाइल हमला
  • ईरान का बयान: “छोटा विस्फोट, कोई नुकसान नहीं”

इजराइल और ईरान

इजराइल का गठबंधन

देशसमर्थन स्तरयोगदान
अमेरिकासैन्य-खुफियाहमास विरोधी फंडिंग
ब्रिटेनरक्षात्मकवायुसेना की मदद
सऊदी अरबअप्रत्यक्षहवाई कॉरिडोर खोलना

ईरान का गठबंधन

  • हमास (गाजा) – हथियार और फंडिंग
  • हिज़बुल्लाह (लेबनान) – सीमा पर हमले
  • यमन के हूती विद्रोही – लाल सागर में जहाज़ों पर हमले

वैश्विक प्रभाव: दुनिया पर क्या असर?

आर्थिक नतीजे

  • तेल की कीमतों में उछाल: $90/बैरल से ऊपर
  • शिपिंग संकट: लाल सागर मार्ग बंद, कंटेनर किराया 300% बढ़ा

राजनीतिक असर

  1. अमेरिका-ईरान वार्ता ठप
  2. सऊदी-इजराइल शांति समझौता स्थगित
  3. भारत-मध्य पूर्व आर्थिक गलियारा (IMEC) पर खतरा

भारत की भूमिका और चिंताएँ

भारत की चुनौतियाँ

  • ऊर्जा सुरक्षा: ईरान से 18% कच्चा तेल आयात
  • 9 मिलियन भारतीय NRI खाड़ी देशों में फंसे
  • चाबहार बंदरगाह परियोजना ठप

भारत की कूटनीतिक स्थिति

  • आधिकारिक बयान: “संयम बरतें, बातचीत से हल निकालें”
  • क्रिया: अमेरिका-ईरान दोनों से अलग वार्ता

युद्ध का भविष्य: क्या होगा आगे?

संभावित परिदृश्य

परिदृश्यसंभावनाप्रभाव
शीत युद्ध जैसी स्थिति60%सीमित झड़पें जारी
क्षेत्रीय युद्ध30%5+ देश शामिल, तेल संकट
परमाणु संघर्ष10%वैश्विक आर्थिक पतन

शांति के रास्ते

  1. संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता
  2. कतर/ओमान जैसे तटस्थ देशों की भूमिका
  3. परमाणु समझौता पुनर्जीवित करना

निष्कर्ष: क्या ये युद्ध टलेगा?

इजराइल-ईरान संघर्ष स्थानीय नहीं वैश्विक समस्या बन चुका है। दोनों देशों के पास विनाशकारी सैन्य क्षमता है, लेकिन अमेरिकी दबाव और अर्थव्यवस्था पर असर के कारण वे पूर्ण युद्ध से बच रहे हैं। भारत जैसे देशों की भूमिका इस संकट में शांतिदूत की हो सकती है।

“युद्ध कभी समाधान नहीं होता – ये सिर्फ नई समस्याएँ जन्म देता है।”
– अटल बिहारी वाजपेयी


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या भारत पर सीधा असर पड़ेगा?

हाँ, तेल महँगा होने से महँगाई बढ़ेगी और खाड़ी देशों में भारतीयों की सुरक्षा चिंता का विषय है।

इजराइल के पास परमाणु हथियार हैं?

A: हाँ, अनुमानित 90 परमाणु वारहेड, लेकिन आधिकारिक स्वीकारोक्ति नहीं।

अमेरिका सीधे युद्ध में क्यों नहीं उतर रहा?

2024 के चुनाव और यूक्रेन युद्ध के कारण बाइडन प्रशासन सीधी भागीदारी से बच रहा है।

Q: क्या भारत पर सीधा असर पड़ेगा?
A: हाँ, तेल महँगा होने से महँगाई बढ़ेगी और खाड़ी देशों में भारतीयों की सुरक्षा चिंता का विषय है।

Q: इजराइल के पास परमाणु हथियार हैं?
A: हाँ, अनुमानित 90 परमाणु वारहेड, लेकिन आधिकारिक स्वीकारोक्ति नहीं।

Q: अमेरिका सीधे युद्ध में क्यों नहीं उतर रहा?
A: 2024 के चुनाव और यूक्रेन युद्ध के कारण बाइडन प्रशासन सीधी भागीदारी से बच रहा है।

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